जेवत जराऊ जोति जीगन जनात किल,
किंकिनी लैं कूकनि मयूरन की डार डार।
सारी स्यामताई पै किनारी चंचला की लखि,
प्रेमी चातकन गन दीनो मन वार वार॥
पुरवाई पवन प्रभाय छहराय छवि,
देखो तो दिखात औ दुरत चंद बार बार।
बदन विलोकन को रजनी रमनि,
बस प्रेमघन घूँघटैं रही हैं जनु टार टार॥