नभ घूमि रही घनघोर घटा, चमू चातक मोर चुपातै नहीं।
सनकै पुरवाई सुगन्ध सनी, छिन दामिनी दौर थिरातै नहीं॥
घन प्रेम जगावन सावन है, पर हाय हमैं तो सुहातै नहीं।
मुखचन्द अमन्द तिहारौ जबै, इन नैन चकोर दिखातै नहीं॥
नभ घूमि रही घनघोर घटा, चमू चातक मोर चुपातै नहीं।
सनकै पुरवाई सुगन्ध सनी, छिन दामिनी दौर थिरातै नहीं॥
घन प्रेम जगावन सावन है, पर हाय हमैं तो सुहातै नहीं।
मुखचन्द अमन्द तिहारौ जबै, इन नैन चकोर दिखातै नहीं॥