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पूनम की चाँदनी में बगिया नहा रही है / मृदुला झा

बेला की भीनी खुशबू मन को लुभा रही है।

मौसम बहार का है छेड़ो न कोई नगमा,
तेरी नजर फरेबी सब कुछ बता रही है।

तीरे-नज़र से तुमने हमको किया है घायल,
हर पल मगर तुम्हारी ही याद आ रही है।

है झील से भी गहरी तेरी ये नीली आँखें,
मदहोश करके जानम क्यों दूर जा रही है।

जीना हुआ है मुश्किल तेरे बगैर हमदम,
मेरी उदास बिंदिया तुझको बुला रही है।