Last modified on 13 फ़रवरी 2012, at 23:21

प्रणय का अनहद / प्रेमशंकर रघुवंशी

लिख देना चाहता
एक कविता अपनी क़लम से
बदन पर तुम्हारे

उतार देना चाहता
मन में
सभी इन्द्रधनुष अपने

और भर देना चाहता
प्रणय का अनहद
रोम-रोम में तुम्हारे !!