प्रभु!
मेरी आँखों में रोशनी दो कि मैं
सफे़द और सफे़द
काले और काले
और काले और सफे़द
रंग की पहचान में
एक बार भी न चूकूँ
प्रभु!
मेरे कानों को शक्ति दो
कि मैं नगाड़ों के शोर में सुन लूँ
मचान के सामने
पेड़ से बँधी बकरी की चीख
प्रभु!
मेरे कण्ठ में आवाज़ दो
कि शहर की मीनार
पर रखे छुरे के बावजूद
काशी के जुलाहे को पुकार लूँ
प्रभु!
इस विपुल पृथ्वी पर
थोड़ी-सी जगह तो दो
कि बिना तुमसे डरे
दोस्तों के संग कह और सुन लूँ
तुम्हारी दुनियाँ के बारे में।