वा जग वन्दन नन्द को नन्दन, जो जसुदा को कहावत वारो।
जीवन जो ब्रज को घन प्रेम जो, राधिका को चित चोरन हारो॥
मंगल मंदिर सुन्दरता को, सुमेर अहै दया सिन्धु सुधारो।
मंजु मराल मेरे मन मानस, को सोई साँवरी सूरति वारो॥
वा जग वन्दन नन्द को नन्दन, जो जसुदा को कहावत वारो।
जीवन जो ब्रज को घन प्रेम जो, राधिका को चित चोरन हारो॥
मंगल मंदिर सुन्दरता को, सुमेर अहै दया सिन्धु सुधारो।
मंजु मराल मेरे मन मानस, को सोई साँवरी सूरति वारो॥