काली अलकावलि पै मोर पंख छवि लखि,
विलखि कराहैं ये कलाप मुरवान के।
पीत परिधान दुति दाब्यो दामिनी दुराय,
लखि मोतीमाल दल भाजे बगुलान के॥
प्रेमघन घनस्याम अति अभिराम सोभा,
रावरी निहारि लाजे घन असमान के।
गरजन मिस करैं दीनता अरज ढारै,
अँसुवन ब्जाय वारि बिन्दु बरसान के॥