बोल मेरे
पाँव के भूगोल
कौन तेरा पंथ,
तेरा रंग—
मेरे प्रिज़्म-जीवन बोल ?
रोज़ मेरी देह से
छन कर गुज़रते दिन
किस तरह ?
यह बात कह पाना
नहीं मुमकिन
एक भीगे हुए साबुन-सा
खिसक जाता है समय
दे मुट्ठियों का झोल
बोल मेरे पाँव के भूगोल
कौन तेरा पंथ
तेरा रंग—
मेरे प्रिज़्म-जीवन बोल ?