जिसने दिया
लिया भी उसी ने ।
काहे का दु:ख
अगर ले-ले कोई
अपनी दी हुई चीज़ ।
कहाँ थी उम्र अपनी ?
कहाँ था सुख ?
दु:ख तक अपना कहाँ था भला ?
ज्ञान कहाँ था अपना?
कहाँ था अज्ञान ?
कहाँ थी हँसी ?
रुदन कहाँ था अपना ?
जिसका था ले गया वही ।