देखता हूँ प्रेम
बसंत की हर सुबह
सरसों के पीले फूलों पर
सुनता हूँ प्रेम
हर बारिश में
नन्हीं-नन्हीं बूंदों से
महसूसता हूँ प्रेम
हवाओं के ताल पर
बिखरते तेरे गेसुओं में
बाँटता हूँ प्रेम
जीवन में
आधा मुझे, आधा तुझे ।
देखता हूँ प्रेम
बसंत की हर सुबह
सरसों के पीले फूलों पर
सुनता हूँ प्रेम
हर बारिश में
नन्हीं-नन्हीं बूंदों से
महसूसता हूँ प्रेम
हवाओं के ताल पर
बिखरते तेरे गेसुओं में
बाँटता हूँ प्रेम
जीवन में
आधा मुझे, आधा तुझे ।