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बुतों के शहर में / एम० के० मधु
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बुतों के शहर में
रचनाकार | एम० के० मधु |
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प्रकाशक | मधुराशा, 11/5 पूर्वी पटेल नगर, पटना : 800023 |
वर्ष | 2008 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 116 |
ISBN | |
विविध | मूल्य : 50 रुपये |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- बुतों के शहर में... / एम० के० मधु
- क्योंकि यह मेरा शहर है / एम० के० मधु
- मकान है घर नहीं / एम० के० मधु
- रानी रूपमती की चाय दुकान / एम० के० मधु
- इन दिनों / एम० के० मधु
- देहगीत 1 / एम० के० मधु
- देहगीत 2 / एम० के० मधु
- यादें जो अब शेष हैं / एम० के० मधु
- लिली / एम० के० मधु
- एक अनाम दुनिया की प्रणय-कथा / एम० के० मधु
- कोरे कैनवस की मोनालिसा / एम० के० मधु
- प्रेम / एम० के० मधु
- किसी एक के नाम / एम० के० मधु
- सिर्फ़ तुम्हारे लिए / एम० के० मधु
- छतरी / एम० के० मधु
- शब्द से नि:शब्द तक / एम० के० मधु
- आख़िर कबतक / एम० के० मधु
- शो पीस / एम० के० मधु
- पत्थर की नदी / एम० के० मधु
- कुहासे / एम० के० मधु
- अंतर्द्वंद्व / एम० के० मधु
- नीड़ फिर तिनका-तिनका / एम० के० मधु
- बटुआ / एम० के० मधु
- आंख में उगती मूंछें / एम० के० मधु
- घरौंदा / एम० के० मधु
- बटखरे / एम० के० मधु
- सेलफ़ोन / एम० के० मधु
- मरहम / एम० के० मधु
- गांठ / एम० के० मधु
- बदलने का सुख / एम० के० मधु
- स्वर्ण-किरण / एम० के० मधु
- कुरुक्षेत्र / एम० के० मधु
- महज़ एक आदमी हूं / एम० के० मधु
- आत्मशोध / एम० के० मधु
- प्रायश्चित / एम० के० मधु
- है हवाओं को इंतज़ार / एम० के० मधु
- लौ जलती रहेगी / एम० के० मधु
- चुराया गया ईश्वर / एम० के० मधु
- एक संपूर्ण आकार / एम० के० मधु
- स्वर्ग-नरक / एम० के० मधु
- अनंत से परे / एम० के० मधु
- क़तरा-क़तरा मौत / एम० के० मधु
- ज़िंदगी लिखते हुए / एम० के० मधु
- मोहरा / एम० के० मधु
- क्यों नहीं बनते सीमेंट / एम० के० मधु
- पुल बनते दद्दा / एम० के० मधु
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- वह 'मरनी' / एम० के० मधु
- रफ़्तार से तेज़ / एम० के० मधु
- धनकुटनी / एम० के० मधु
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