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इन दिनों / एम० के० मधु
Kavita Kosh से
इन दिनों
मेरी परछाइयाँ हिल रही हैं
इन दिनों
शब्द मेरे गडमड हो रहे हैं
इन दिनों
हर आहट पर
मेरी आँखें
खिड़की से फिसलकर
दरवाज़े तक चली जाती हैं
इन दिनों
सड़क का शोर
अनसुना लगता है
इन दिनों
आकाश में उड़ती पतंगें
लगता है मेरे लिए उड़ी है…
कट कर गिरती हैं
तो लगता है
मेरे लिए गिरी हैं
इन दिनों
बहुत अच्छा लगता है
घुटर-घूँ घुटर-घूँ करता
पड़ोसी की दीवार पर
कबूतर का जोड़ा
आधा रास्ता चल लेने पर भी
मन बार-बार
लौट जाने को करता है
इन दिनों…