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एक संपूर्ण आकार / एम० के० मधु
Kavita Kosh से
हर सुबह
खुलती है मेरी नींद
मस्जिद की अज़ान से
शुरू करता हूं
अपनी दिनचर्या
मंदिर की घंटियों के साथ
मन को करता हूं
शोधित
गिरजा की कैरोल-ध्वनि पर
मस्तिष्क में लाता हूं
संस्कार
गु्रुद्वारे की गुरुवाणी पर
कुरान की आयतें
मुझमें भरती हैं
साधना के स्वर
रामायण
मुझमें देता है
आदर्श
गीता देती है
कर्म का पाठ
बुद्ध की जातक कथाओं से
सीखा है-- अहिंसा और सत्य
बाइबिल सिखाता है
त्याग और परोपकार
गुरुग्रंथ समझाता है
स्नेह और विश्वास
सारे अध्यात्म
एक साथ मिलकर
बनाते हैं
मेरे अन्दर
एक सम्पूर्ण आकार
मानव का।