गुणों की खान है लड़की।
लड़ाई दीन मजहब पर,
हुई कुर्बान है लड़की।
कोई गुड़िया नहीं मूरत,
नहीं सामान है लड़की।
बदौलत अपनी मेहतन के,
बनी दिनमान है लड़की।
कभी तो फूल सी कोमल,
कभी पाषाण है लड़की।
इसे बख्शो जहाँ वालों,
हमारा मान है लड़की।