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बड़े आदमी का दुःख / शरद कोकास

वह चर्चित है
उसके दुख भी चर्चा में है
उसके घर में घटी हर दुख की चर्चा
मीडिया का सहारा लेकर हम तक पहुँचती
उसका हर दुख
उससे ज़्यादा हमें दुखी करता

हम सोचते तो इतना बड़ा आदमी होने के बावजूद
उसके घर में फलाँ-फलाँ दुख है
उसके दुखों के दृश्य में शामिल होते
सफेद कपड़े पहने नर नारी
सफेद कारों से उतरते
जैसे फिल्म के किसी दृश्य के लिए
किराये पर लिए गए हों

किसी तस्वीर के सामने होता जलता दिया
पार्श्व में बजती सितार पर कोई उदास धुन
दृश्य में शामिल होता समुद्र का किनारा
या हिल स्टेशन का साफ आसमान

दुख के दिनों मंे आने वाली डाक बढ़ जाती
बढ़ जाता चाय-नाश्ते, टेलीफोन का बिल
हम बहुत बहुत दिनों तक
अख़बार में छपी उसकी तस्वीरों में
उसके चेहरे पर दुख पढ़ने की कोशिश करते
वह भी कई दिनों तक टी.वी. अख़बार वालों को
अपना हँसता हुआ चित्र नहीं खींचने देता
समाज के हर सुख दुख में शामिल होते हुए
वह ध्यान रखता कि उसका चेहरा
बीते हुए दुख की याद दिलाता हो

यह बात बहुत कम लोगों को मालूम है
कि वह भी अकेले में
अपने दुख पर
आम आदमी की तरह
फूट-फूट कर रोता है।

-1997