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बरसगाँठि बृषभानु-कुँवरि की / हनुमानप्रसाद पोद्दार

 बरसगाँठि बृषभानु-कुँवारि की कीरति गीत गवा‌ए जू।
 चंदन-‌अगर लिपा‌इ अरगजा, मोतिन चौक पुरा‌ए जू॥

 नंदीसुर ते नंद जसोदा सहसुत न्यौति बुला‌ए जू।
 गोपी-गोप, गाय-गोसुत लै चलि बरसाने आ‌ए जू॥

 तब वृषभान बड़े आदर सौं निज मंदिर पधरा‌ए जू।
 भीतर भवन जसोदा-कीरति मिलत परम सुख पा‌ए जू॥

 जसुमति-कनिया तैं लालन लै कीरति गोद खिला‌ए जू।
 ब्रजरानी ल‌इ कुँवारि गोद ब्रजनारिन मंगल गा‌ए जू॥