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बहार बन के वो मुस्कराए / शैलेन्द्र

बहार बनके वो मुस्कुराए हमारे गुलशन में
बाद-ए-सबा तू न आए तो क्या, काली घटा तू न छाए तो क्या
बहार बनके वो मुस्कुराए हमारे गुलशन में

मेरे दिल की राहों पे मेरे संग-संग आ
तुझको दिखला दूँ मैं हमदम अपना
रंगोंभरी दुनिया मेरी, मेरा प्यार पहला
बाद-ए-सबा तू न आए तो क्या, काली घटा तू न छाए तो क्या
बहार बनके वो मुस्कुराए हमारे गुलशन में

छुपके कोई आया है जबसे दिल में
हर दिन नई हलचल है मेरी महफ़िल में
धड़कन मेरी गाने लगी अभी गीत उनका
बाद-ए-सबा तू न आए तो क्या, काली घटा तू न छाए तो क्या

मतवाली डोलूँ मैं, खोई सपनों में
अब मेरा दिल लागे ना मेरे अपनों में
क्या मिल गया क्या खो गया, दिल ही जाने मेरा
बाद-ए-सबा तू न आए तो क्या, काली घटा तू न छाए तो क्या
बहार बनके वो मुस्कुराए हमारे गुलशन में