Last modified on 26 दिसम्बर 2017, at 17:22

बारिश : दो / इंदुशेखर तत्पुरुष

धरती जब तृप्त होती हैं
रंध्र-रंध्र से उसके
फूटती है असीसें
बनकर हरी दूब।

षिषुओं के लिए
झर-झर आता
स्तनों से अमृत।