भानुपुर बाजत बिपुल बधाई।
आनँद-घन आनंदिनि कन्या कीरति रानी जाई॥
अति कमनीय रूप अतुलित सुचि प्रेम-सुधा-रस-वर्षी।
अखिल जगत-जित बिस्व-बिमोहन मोहन-मन आकर्षी॥
उदये भानु भानु-घर कोटिन दुति उज्ज्वल छिति छाई।
बिनस्यौ काम-कलुष तम कोटिन ससि सीतलता आई॥
जाके दरसन कौं सुर-मुनि नित सकल लोक ललचावैं।
सोइ हरिप्रिया कीर्ति क्रोड़हि ले हरषित हिय हलरावैं॥
धन्य भए बृषभान सराहत भाग्य भुवन मुनि-ग्यानी।
जिनके घर प्रगटीं हरि की हृदयेस्वरि राधारानी॥