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मन के दुआरे / कांतिमोहन 'सोज़'

आँख के तारे दिल के सहारे
मन के दुआरे आओ ना !
आस थकी है साँस रुकी है
और हमें तड़पाओ ना !
मन के दुआरे आओ ना I

आवन कह गए अजहुँ न आए
रह-रह मोरा मन घबराए
निस-दिन तुम्हरा बिरह जलाए
पल-पल बैरन याद सताए ।
मान भी जाओ लौट भी आओ
सूरतिया दिखलाओ ना !
आंख के तारे दिल के सहारे
मन के दुआरे आओ ना !

तुम तरुवर मैं तुम्हरी छाया
तुम जीवन मैं तुम्हरी काया
जुग-जुग मैंने तुमको पाया
तुम परमेसुर मैं हूँ माया
लगन लगी है अगन जगी है
आकर अगन मिटाओ ना ।

आँख के तारे दिल के सहारे
मन के दुआरे आओ ना !
आस थकी है साँस रुकी है
और हमें तड़पाओ ना !
मन के दुआरे आओ ना I