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मन भरा नहीं ! / कांतिमोहन 'सोज़'

मन भरा नहीं !
अमृत-सिन्धु घन आया गया झरा नहीं !
मन भरा नहीं !
भरा नहीं भरा नहीं ।।

मन का चातक उदास
श्वास-श्वास तृषित बाँस
स्वाति-बिन्दु लिए अंक घन ढरा नहीं !
अमृत-सिन्धु घन आया गया झरा नहीं !

मन भरा नहीं !
भरा नहीं भरा नहीं ।।

गरजो मत बरसो घन
तरसे क्यों सरसे मन
रोम-रोम तृषावन्त यह गिरा नहीं
अमृत-सिन्धु घन आया गया झरा नहीं !

मन भरा नहीं !
भरा नहीं भरा नहीं ।।