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मसूरी / पवन कुमार

मसूरी
एक निहायत
खूबसूरत दोशीजा
जिसके माथे
पर सूरज की लाल
बिन्दी है,
तो तमाम तराशे हुए कुहसार
उसके
अल्हड़पन के गवाह हैं।
मसूरी!
जब सुबह चांदी के वरक’ से
ढके बादलों की
चूनर ओढ़ती है
तो
और भी खूबसूरत हो जाती हे
कैम्पटी फॉल के नग्“मात
के साथ
शाम...
वाह क्या नक़्शबंदी है।
ऐसा लगता है कि
मसूरी ने
अपने जज़्बात ‘फॉल’ के
आब में घोले हैं।
मोती से बिखर जाते हैं
जब बरसात होती है
जी चाहता है
इस मीठी-मासूम
बरसात में
ता उम्र भीगते रहें।