कहने को
प्यार बहुत गाढ़ा था
गहने की तरह जिसे गाढ़ा था
बन्धु !
मिट्टी खा गई उसको
आज जब
पाया अकेलापन
ख़ाली घर खुला आँगन
गहने को निकला खोद कर
बन्धु ! इतना खुरदुरा था वह
तबीयत ही न हो पाई
कि रख लें गोद पर
जो न पाया गया हम से
बन्धु !
मिट्टी खा गई उस को
मिट्टी खा गई उस को