Last modified on 20 मई 2018, at 17:17

मोदीखाना / प्रेमघन

यह भण्डार भवन जो अन्न भरो गरुआतो।
जहँ समूह नर नारिन को निस दिवस दिखातो॥203॥

आगन्तुकन सेवकन हित सीधन जहँ तौलत।
थकित रहत मोदी अबो सो सीध न बोलत॥204॥

मनुजन की को कहै मूँसहूँ तहँ न दिखाते।
तिनको बिलन भुजंग बसे इत उत चकराते॥205॥