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मौसम नैनीताल का / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

गरमी में ठण्डक पहुँचाता,
मौसम नैनीताल का!
मस्त नज़ारा मन बहलाता,
माल-रोड के माल का!!

नौका का आनन्द निराला,
क्षण में घन छा जाता काला,
शीतल पवन ठिठुरता सा तन,
याद दिलाता शॉल का!

लू के गरम थपेड़े खा कर,
आम झूलते हैं डाली पर,
इन्हें देख कर मुँह में आया,
मीठा स्वाद रसाल का!

चीड़ और काफल के छौने,
पर्वत को करते हैं बौने,
हरा-भरा सा मुकुट सजाते,
ये गिरिवर के भाल का!

गरमी में ठण्डक पहुँचाता,
मौसम नैनीताल का!
मस्त नज़ारा मन बहलाता,
माल-रोड के माल का!!