एक उठे हुए हाथ का सपना
मरा नहीं है
ज़िन्दा है आदमी
अब भी थोड़ा-सा चिड़ियों के मन में
बस ये दो कारण
काफ़ी हैं
परिवर्तन की कविता के लिए ।
एक उठे हुए हाथ का सपना
मरा नहीं है
ज़िन्दा है आदमी
अब भी थोड़ा-सा चिड़ियों के मन में
बस ये दो कारण
काफ़ी हैं
परिवर्तन की कविता के लिए ।