ये बात अवामी है
ओहदों को सलामी है।
क्या दौर है गुलशन का
फूलों की निलामी है।
परवाज़ के शैदा की
किस्मत में गुलामी है।
तारीख में कुछ लिख लो
ये वक्त हंगामी हे।
किरदार है बौनों का
पर नाम तो नामी है।
क्या ज़िक्र है मसले का
तस्वीर इनामी है।
अब ठीक भला क्या हो
आदत में जो ख़ामी है।