यह कोमल-कोमल
ठंडी-ठंडी राख भी
कभी आग थी
वक्त रहते
समझ जाओ !
राख से
आग होना
कठिन है
परन्तु
राख में
आग का होना
आसान है ।
इस लिए समझो
आख को
हवा देना छोडो़ !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
यह कोमल-कोमल
ठंडी-ठंडी राख भी
कभी आग थी
वक्त रहते
समझ जाओ !
राख से
आग होना
कठिन है
परन्तु
राख में
आग का होना
आसान है ।
इस लिए समझो
आख को
हवा देना छोडो़ !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"