Last modified on 14 जून 2010, at 21:44

लैपटॉप-2 / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

सबके मन को जो भाता है ।
लैपटॉप वो कहलाता है ।।
  
सभी जगह इसको ले जाओ ।
बड़े मज़े से नेट चलाओ ।।

मनचाहे गानों को भर लो ।
दूर देश में बातें कर लो ।।

सारा कुछ तो लगा यहीं है ।
माउस का भी काम नही है ।।

इसमें ज्ञान समाया सारा ।
लैपटॉप लगता है प्यारा ।।