वह आदमखोर है
और तुम शिकारी
बन्धु ! देख-भाल कर चलो
पैंतरे सँभाल कर चलो
चेहरा है चेहरा उसका नहीं
डिब्बा है रँग का
उसका हर ढंग है उदाहरण
अपने ही ढग का
अंगों को लोहे में ढाल कर चलो
क़ैदी हैं जाने कितने चरण
आँधी के, आग के
कितने ही पालतू दिमाग़ हैं
उस काले नाग के
जीना है तो उसी कपाल पर चलो