सृजन किया जिसने नभ को
धरती को साधिकार
जो लपेटता अनवरत
दिवस को रजनी पर
रजनी के दिन पर
सूर्य-चंद्र चल रहे निरंतर
जिसने तय कर रखा हुआ है
किसको कब तक-
कितना चलना!
वह सबका प्रभु
क्षमाशील है।
(कुरआन, सूरा-39, आयत-5 का भावान्तरण)
सृजन किया जिसने नभ को
धरती को साधिकार
जो लपेटता अनवरत
दिवस को रजनी पर
रजनी के दिन पर
सूर्य-चंद्र चल रहे निरंतर
जिसने तय कर रखा हुआ है
किसको कब तक-
कितना चलना!
वह सबका प्रभु
क्षमाशील है।
(कुरआन, सूरा-39, आयत-5 का भावान्तरण)