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वाद्य-विद्या में / केदारनाथ अग्रवाल

वाद्य विद्या में
ढोलक और मजीरे
एक-दूसरे के सहयोगी हुए,
कला में पारंगत
एक-दूसरे के मर्म के
सहयोगी हुए।

रचनाकाल: ०४-०१-१९७८