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10 मई 2008
आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी
वर्तनी ठीक की है।
14:23
-3
समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का / अकबर इलाहाबादी
वर्तनी ठीक की है।
14:18
+3
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ / अकबर इलाहाबादी
वर्तनी ठीक की है।
14:16
+9
दिल मेरा जिस से बहलता / अकबर इलाहाबादी
वर्तनी ठीक की है।
14:13
हंगामा है क्यूँ बरपा / अकबर इलाहाबादी
थोड़ी वर्तनी ठी की है।
14:09