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'कोंपलें फिर फूट आँई शाख पर कहना उसे वो न समझा है न समझ...' के साथ नया पन्ना बनाया
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नया पृष्ठ: माया के मोहक वन की क्या कहूँ कहानी परदेशी? भय है, सुन कर हँस दोगे मे…
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नया पृष्ठ: बाजे अस्तोदय की वीणा-क्षण-क्षण गगनांगन में रे, हुआ प्रभात छिप गए …
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नया पृष्ठ: तुम्हें देखकर मुह्ह्को यूँ लग रहा है, समर्पण में कोई कमी रह गयी है…
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नया पृष्ठ: सारा वातावरण तुम्हारी साँसों की खुशबू से पूरित, शायद यह मधुमास तु…
नया पृष्ठ: मैं तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहता हूँ, जानता हूँ इस जगत में…
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नया पृष्ठ: फूल से बोली कली क्यों व्यस्त मुरझाने में है फायदा क्या गंध औ मकरं…
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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna Iरचनाकार= उदय प्रताप सिंह Iसंग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> ऐसे नहीं जाग क…
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