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10:38, 22 दिसम्बर 2010 '''याद है उस दिन इसी जगह'''
'''जीभर के हमने देखा था'''
'''संध्या को अंगड़ाई लेते'''
'''इक टहनी पर चाँद टंगा था'''
'''तुम्हारे जूडे में मैंने वो'''
'''चाँद तोड़कर टांक दिया था'''
'''और अधखिले बेला की'''
'''गीली वेणी से बाँध दिया था'''
'''सारी रात मोगरे पर'''
'''मधुर चांदनी झरती रही'''
'''और पेड़ की फुनगी पर'''
'''बुलबुल पंचम में गाती रही'''
'''आज फिर उसी पेड़ के पास'''
'''उसी टहनी के नीचे आया हूँ'''
'''लेकिन चाँद गुम है और'''
'''मोगरा कुम्हलाया देख रहा हूँ'''
'''कुछ बेला की सूखी पंखुरी'''
'''अभी भी धरती पर बिखरी है'''
'''और कोई भी बुलबुल अब'''
'''प्रीत के गीत नहीं गाती है'''
'''और कोई भी बुलबुल अब'''
'''प्रीत के गीत नहीं गाती है'''