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और कोई भी बुलबुल अब गाती नहीं है / पवन कुमार मिश्र
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10:41, 22 दिसम्बर 2010
'''इक टहनी पर चाँद टंगा था'''
'''गीली वेणी से बाँध दिया था'''
'''बुलबुल पंचम में गाती रही'''
'''मोगरा कुम्हलाया देख रहा हूँ'''
Pawan kumar mishra
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