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02:31, 2 जनवरी 2011 <poem>तेरा मेरा इक रिश्ता है
मैं प्यासा हूँ, तू दरिया है
दुनिया मुझसे लाख खफा हो
तू ही अब मेरी दुनिया है
मैं हूँ जेठ की तपती धरती
तू रुत की पहली बरखा है
इस दीये की हिम्मत देखो
सूरज के आगे जलता है
याद तुम्हारी होगी शायद
घर आँगन महका महका है/>