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उसका मुखड़ा चमके यूँ आँचल में कुछ
लगता है अब वो भी सियासत भूल सीख गया
उसकी बातें पल में कुछ हैं पल में कुछ
नई बात है जैसे ताजमहल में कुछ
लहरें उटठी यादों की दिल में ऐसे
फेंका हो कंकर सा जैसे जल में कुछ
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