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इश्क़ अल्लाह-2 / नज़ीर अकबराबादी
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22:44, 7 जनवरी 2011
कोई उस फ़ितनए दौराँ<ref>ज़माने का उपद्रवी</ref> से कहो इश्क़ अल्लाह ।।
यारो देखो जो कहीं उस गुले खन्दाँ<ref>फूल की मुस्कान</ref> का ज़माल<ref>
्सौन्दर्य
सौन्दर्य
, ख़ूबसूरती</ref> ।
तो मेरे दीदए गिरयाँ<ref>बहुमूल्य आँखें</ref> से कहो इश्क़ अल्लाह ।।
अनिल जनविजय
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