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एक ख़त जो किसी ने लिखा भी नहीं / शतदल
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14:42, 26 जनवरी 2011
::गंध डूबा हुआ एक मीठा सपन
::
करके
कर गया
प्रार्थना के समय आचमन::जब कभी गुनगुनाने लगे
बाँस-वन
बांसवन
::और भी बढ़ गया प्यास का आयतन
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