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शहर : एक बिम्ब / सांवर दइया

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जूनी अर अकारण फाइलां
बोरां में !
 
 
'''कविता का हिंदी अनुवाद'''
 
बड़े शहर में
संकड़े कमरों में
आदमियों के पास
बैठे
सोए
खड़े
आदमी
आदमी
आदमी
जैसे ठूंस-ठूंस कर भरी हो-
पुरानी और बेकार फाइलें-
बोरों में !
 
'''अनुवाद : नीरज दइया'''
 
</poem>
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