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'''मख़दूम <ref>उर्दू के मशहूर कवि, जिन्होंने तेलंगाना आंदोलन में हिस्सा लिया था। उनकी ग़ज़ल से प्रेरित होकर ही ’फ़ैज़’ ने ये ग़ज़ल लिखी है</ref> की याद में-1'''
"आपकी याद आती रही रात-भर"
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात-भर
कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन<ref>वस्त्र</ref>
कोई तस्वीर गाती रही रात-भर
फिर सबा <ref>ठंडी हवा</ref> सायः-ए-शाख़े-गुल <ref>गुलाब की टहनी की छाया</ref> के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात-भर
जो न आया उसे कोई ज़ंजीरे-दर<ref>दरवाज़े कि साँकल</ref>
हर सदा पर बुलाती रही रात-भर
मास्को, सितंबर, 1978
</poem>
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