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04:27, 21 मार्च 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
|संग्रह=जब भी वसन्त के फूल खिलेंगे / आलोक श्रीवास्तव-२
}}
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<Poem>
व्योम के रंग में एक उदासी
समुद्र का थका तट
ये ठहरी हवाएं
क्या सच में तुमने नहीं जाना
पश्चिम में रोज़ सूर्य नहीं
डूब जाती है एक भावना
निष्फल, आहत
हताश !
</poem>