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चांद - तारे / विष्णु नागर

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{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
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मुझे चाँद चाहिए था<br>
लेकिन मैं चाँद की तरफ बढ़ने लगा तो मुझे तारों ने मोह लिया<br>