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14:37, 6 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=ज़िया फतेहाबादी
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<poem>
मैंने अपने मैं से पूछा एक दिन
कोई बाईस तेरी ख़ुशनूदी का है
बोला, हैरत है, नहीं तुझ को ख़बर
राज़ इसी में तेरी बहदूदी का है
मैं ख़लाओं की हूँ लामहदूदियत
और तुझे अहसास महदूदी का है
तू तो है तार ए शिकसता की सदा
साज़ तेरा लहन ए दाऊदी का है
मैं तेरा मैं हूँ, न तू ठुकरा मुझे
मैं ही सच्चाई हूँ, कर सजदा मुझे