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अनगिनत गिर चुके हैं लोग / मरीना स्विताएवा
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|संग्रह=आएंगे दिन कविताओं के / मरीना स्विताएवा
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अनगिनत गिर चुके हैं लोग
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
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अनिल जनविजय
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