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|संग्रह=फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
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असीम सौन्दर्य की एक लहर,
 
नदी से नहीं--
 :: समुद्र से नहीं 
देखते ही देखते
 
उमड़ी तुम्हारे शरीर से,
 
छाप कर छा गई
 
फैल गई मुझ पर !
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