Last modified on 15 अप्रैल 2011, at 11:00

असीम सौन्दर्य की एक लहर / केदारनाथ अग्रवाल

असीम सौन्दर्य की एक लहर,
नदी से नहीं--
    समुद्र से नहीं
देखते ही देखते
उमड़ी तुम्हारे शरीर से,
छाप कर छा गई
फैल गई मुझ पर !