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{{KKRachna
|रचनाकार=गोविन्द
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[[Category:पद]]
<poeM>मो मन बसौ श्यामा-श्याम।
 
श्याम तन मन श्याम कामर, माल की मणि श्याम।
 
श्याम अंगन श्याम भूषण, वसन हैं अति श्याम।
 
श्याम-श्याम के प्रेम भीने, 'गोविंद जन भए श्याम॥
 
 
</poeM>