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08:42, 26 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=ब्रजभाषा
}}
<poem>
चोरी माखन की दै छोड़ि
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय<br>
एक लख धेनु नंद बाबा कें
नित घर माखन होय
दधि माखन तू रोज चुरावै
हँसी हमारी होय
चोरी माखन की दै छोड़ि
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय...
</poem>